सालासर बालाजी भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक धार्मिक स्थल है. यह राजस्थान के चुरू जिले में स्थित है. साल भर में असंख्य भारतीय भक्त दर्शन के लिए सालासर धाम जाते हैं. हर साल चैत्र पूर्णिमा और अश्विन पूर्णिमा पर बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है. इस समय 6 से 7 लाख लोग अपने इस देवता को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां एकत्रित होते हैं. हनुमान सेवा समिति, मंदिर और मेलों के प्रबंधन का काम करती है. यहां रहने के लिए कई धर्मशालाएं और खाने पीने के लिए कई रेस्तरां हैं. श्री हनुमान मंदिर सालासर कस्बे के ठीक मध्य में स्थित है.
स्थान
सालासर कस्बा, राजस्थान में चुरू जिले का एक हिस्सा है और यह जयपुर - बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है. यह सीकर से 57 किलोमीटर, सुजानगढ़ से 24 किलोमीटर और लक्ष्मणगढ़ से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. सालासर कस्बा सुजानगढ़ पंचायत समिति के अधिकार क्षेत्र में आता है और राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की नियमित बस सेवा के द्वारादिल्ली, जयपुर और बीकानेर से भली प्रकार से जुड़ा है. इंडियन एयरलाइंस और जेट एयर सेवा जो जयपुर तक उड़ान भरती हैं, यहां से बस या टैक्सी के द्वारा सालासर पहुंचने में 3.5 घंटे का समय लगता है. सुजानगढ़, सीकर, डीडवाना, जयपुर और रतनगढ़ सालासर बालाजी के नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं.
यह शहर पिलानी शहर से लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर है, जहां विज्ञान और प्रौद्योगिकी का बिरला संस्थान (बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी एंड साइंस) स्थित है. दिल्ली सेBold text पिलानी की सड़क बहुत अच्छी है और अक्सर दिल्ली की ओर से होकर आने वाले लोग इसी मार्ग से होते हुए बालाजी पहुंचते हैं.
श्रावण शुक्ल नवमी, संवत् 1811- शनिवार को एक चमत्कार हुआ. नागपुर जिले में असोटा गांव का एक गिन्थाला-जाट किसान अपने खेत को जोत रहा था. अचानक उसके हल से कोई पथरीली चीज़ टकराई और एक गूंजती हुई आवाज पैदा हुई. उसने उस जगह की मिट्टी को खोदा और उसे मिट्टी में सनी हुई दो मूर्तियां मिलीं. उसकी पत्नी उसके लिए भोजन लेकर वहां पहुंची.किसान ने अपनी पत्नी को मूर्ति दिखाई. उसने अपनी साड़ी (पोशाक) से मूर्ति को साफ़ किया. यह मूर्ति बालाजी भगवान श्री हनुमान की थी. उन्होंने समर्पण के साथ अपने सिर झुकाए और भगवान बालाजी की पूजा की. भगवान बालाजी के प्रकट होने का यह समाचार तुरन्त असोटा गांव में फ़ैल गया. असोटा के ठाकुर ने भी यह खबर सुनी. बालाजी ने उसके सपने में आकर उसे आदेश दिया कि इस मूर्ति को चुरू जिले में सालासर भेज दिया जाये. उसी रात भगवान हनुमान के एक भक्त, सालासर के मोहन दासजी महाराज ने भी अपने सपने में भगवान हनुमान या बालाजी को देखा. भगवान बालाजी ने उसे असोटा की मूर्ति के बारे में बताया. उन्होंने तुरन्त असोटा के ठाकुर के लिए एक सन्देश भेजा. जब ठाकुर को यह पता चला कि असोटा आये बिना ही मोहन दासजी को इस बारे में थोडा बहुत ज्ञान है, तो वे चकित हो गए. निश्चित रूप से, यह सब सर्वशक्तिमान भगवान बालाजी की कृपा से ही हो रहा था. मूर्ति को सालासर भेज दिया गया और इसी जगह को आज सालासर धाम के रूप में जाना जाता है. दूसरी मूर्ति को इस स्थान से 25 किलोमीटर दूर पाबोलाम (भरतगढ़) में स्थापित कर दिया गया. पाबोलाम में सुबह के समय समारोह का आयोजन किया गया और उसी दिन शाम को सालासर में समारोह का आयोजन किया गया.
पुजारी श्रीराम +919982435366
प्रबंधन (सालासर बालाजी का ट्रस्ट)
सालासर बालाजी का प्रबंधन मोहनदासजी सालासर बालाजी ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है.
मंदिर का सम्पर्क विवरण सालासर बालाजी ट्रस्ट सालासर, राजस्थान
दर्शनीय स्थल
मोहनदास जी की धुनिया वह जगह है जहां महान भगवान हनुमान के भक्त मोहनदासजी के द्वारा पवित्र अग्नि जलाई गयी, जो आज भी जल रही है. हिंदू श्रद्धालु और तीर्थयात्री यहां से पवित्र राख ले जाते हैं. श्री मोहन मंदिर, बालाजी मंदिर के बहुत ही पास स्थित है, यह इसलिए प्रसिद्द है क्योंकि मोहनदास जी और कनिदादी के पैरों के निशान यहां आज भी मौजूद हैं. इस स्थान को इन दोनों पवित्र भक्तों का समाधि स्थल माना जाता है. पिछले आठ सालों से यहां निरंतर रामायण का पाठ किया जा रहा है. भगवान बालाजी के मंदिर परिसर में, पिछले 20 सालों से लगातार अखण्ड हरी कीर्तन या राम के नाम का निरंतर जाप किया जा रहा है. अंजनी माता का मंदिर लक्ष्मणगढ़ की ओर सालासर धाम से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. अंजनी माता भगवान हनुमान या बालाजी की मां थी. गुदावादी श्याम मंदिर भी सालासर धाम से एक किलोमीटर के भीतर स्थित है. मोहनदास जी के समय से दो बैलगाड़ियों को यहां बालाजी मंदिर परिसर में रखा गया है. शयनन माता मंदिर , जो यहां से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर रेगिस्तान में एक अद्वितीय पहाड़ी पर स्थित है, माना जाता है कि यह 1100 साल पुराना मंदिर है, यह भी दर्शन के योग्य है.
श्री हनुमान जयंती का उत्सव हर साल चैत्र शुक्ल चतुर्दशी और पूर्णिमा को मनाया जाता है. श्री हनुमान जयंती के इस अवसर पर भारत के हर कोने से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
अश्विन शुक्ल चतुर्दशी और पूर्णिमा को मेलों का आयोजन किया जाता है और बड़ी संख्या में भक्त इन मेलों में भी पहुंचते हैं. भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी और पूर्णिमा पर आयोजित किये जाने वाले मेले भी बाकी मेलों की तरह आकर्षक होते हैं. इन अवसरों पर नि: शुल्क भोजन, मिठाईयों और पेय पदार्थों का वितरण किया जाता है.
सालासर बालाजी मंदिर का रखरखाव मोहनदासजी ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है. सालासर ट्रस्ट सालासर कस्बे के लिए काफी सुविधाएं उपलब्ध कराती है, जैसे मंदिर के जनरेटर से कस्बे में बिजली उपलब्ध करायी जाती है, फ़िल्टर किया हुआ साफ़ पानी कस्बे के लोगों के लिए उपलब्ध कराया जाता है.
lkyklj
ckykth&
jktLFkku
ds pq: ftys ds lkyklj esa fLFkr guqekuth dk eafnj gSA ;g ckykth dk eafnj
chdkusj lM+d ekxZ ij t;iqj ls 130 fdeh o lhdj ls 57 fdeh dh nwjh ij gSA ;gk¡ gj
fnu gtkjksa dh la[;k esa ns'kh&fons'kh Hkä eRFkk Vsdus vkrs gSaA bl eafnj
esa guqekuth dh o;Ld ewfrZ LFkkfir gS vr% Hkäx.k bls cM+s guqekuth Hkh iqdkjrs
gSaA pkS= iwf.kZek o vkf'ou iwf.kZek ds fnu lkyklj esa fo'kky esyk yxrk gSA
No comments:
Post a Comment