श्रीनाथजी मन्दिर , नाथद्वारा
राजसमन्द जिले के श्रीनाथद्वारा में स्थित श्रीनाथजी मन्दिर पुष्टिमार्गीय वैष्णवों का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहाँ कृष्ण के बालरूप की उपासना की जाती है। औरंगजेब द्वारा हिन्दू मूर्तियों एवं मन्दिरों को तुड़वाने पर मथुरा से वैष्णव दाउजी महाराज के नेतृत्त्व में वैष्णव भक्त श्रीनाथ जी की मूर्ति सिहाड़ (आधुनिक नाथद्वारा)लाये थे, जहाँ महाराणा राजसिंह ने उन्हें शरण देकर यहाँ मूर्ति को प्रतिष्ठित किया था। यहाँ अष्टछाप कवियों के पद गाये जाते हैं, जिसे ‘हवेली संगीत’ कहा जाता है। यहाँ श्रीनाथ के स्वरूप के पीछे कृष्णलीला विषयक पट् लगाया जाता है, जिसे ‘पिछवाई’ कहा जाता है।
राजसमन्द जिले के श्रीनाथद्वारा में स्थित श्रीनाथजी मन्दिर पुष्टिमार्गीय वैष्णवों का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहाँ कृष्ण के बालरूप की उपासना की जाती है। औरंगजेब द्वारा हिन्दू मूर्तियों एवं मन्दिरों को तुड़वाने पर मथुरा से वैष्णव दाउजी महाराज के नेतृत्त्व में वैष्णव भक्त श्रीनाथ जी की मूर्ति सिहाड़ (आधुनिक नाथद्वारा)लाये थे, जहाँ महाराणा राजसिंह ने उन्हें शरण देकर यहाँ मूर्ति को प्रतिष्ठित किया था। यहाँ अष्टछाप कवियों के पद गाये जाते हैं, जिसे ‘हवेली संगीत’ कहा जाता है। यहाँ श्रीनाथ के स्वरूप के पीछे कृष्णलीला विषयक पट् लगाया जाता है, जिसे ‘पिछवाई’ कहा जाता है।
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