लोहागढ़
राजस्थान के सिंहद्वार भरतपुर में जाट राजाओं की वीरता एवं शौर्य गाथाओं को अपने आंचल में समेटे लोहागढ़ का किला अजेयता एवं सुदृढ़ता के लिए प्रसिद्ध हैं। जाट शासक सूरजमल ने इसे 1733 में
बनवाया था। लोहागढ़ को यहाँ पूर्व में एक मिट्टी की गढ़ी को विकसित करके वर्तमान रूप में परिवर्तित किया गया। किले के प्रवेशद्वार पर अष्टधातु निर्मित कलात्मक और मजबूत दरवाजा आज भी लोहागढ़ का लोहा मनवाता प्रतीत होता है। इस कलात्मक दरवाजे को महाराजा जवाहरसिंह 1765 में दिल्ली से विजय करके लाये थे। इस किले की अभेद्यता का कारण इसकी दीवारों की चौड़ाई है। किले की बाहरी प्राचीर मिट्टी की बनी है तथा इसके चारों ओर एक गहरी खाई है। अंग्रेज जनरल लॉर्ड लेक ने तो अपनी विशाल सेना और तोपखाने के साथ पाँच बार इस किले पर चढ़ाई की परन्तु हर बार उसे पराजय का सामना करना पड़ा। किले में बने किशोरी महल, जवाहर बुर्ज, कोठी खास, दादी माँ का महल, वजीर की कोठी, गंगा मंदिर, लक्ष्मण मंदिर आदि दर्शनीय हैं।
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