गणेश मन्दिर, रणथम्भौर
सवाई माधोपुर शहर के निकट स्थित रणथम्भौर के किले में देशभर में विख्यात त्रिनेत्र मन्दिर बना हुआ है। सिन्दूर लेपन की मात्रा अधिक होने के कारण मूर्ति का वास्तविक स्वरूप जानना कठिन है, पर इतना निश्चित है कि गणेशजी के मुख की ही पूजा की जाती है। गर्दन, हाथ, शरीर, आयुध व अन्य अवयव इस प्रतिमा में नहीं है। वैवाहिक इत्यादि मांगलिक अवसरों पर गणेश जी को प्रथम पाती पहुँचाकर निमन्त्रित करने की सुदीर्घ परम्परा है।
सवाई माधोपुर शहर के निकट स्थित रणथम्भौर के किले में देशभर में विख्यात त्रिनेत्र मन्दिर बना हुआ है। सिन्दूर लेपन की मात्रा अधिक होने के कारण मूर्ति का वास्तविक स्वरूप जानना कठिन है, पर इतना निश्चित है कि गणेशजी के मुख की ही पूजा की जाती है। गर्दन, हाथ, शरीर, आयुध व अन्य अवयव इस प्रतिमा में नहीं है। वैवाहिक इत्यादि मांगलिक अवसरों पर गणेश जी को प्रथम पाती पहुँचाकर निमन्त्रित करने की सुदीर्घ परम्परा है।
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