जैन मन्दिर , रणकपुर
पाली जिले में स्थित रणकपुर का जैन मन्दिर, अपनी अद्भुत शिल्पकला एवं भव्यता के साथ आध्यात्मिकता लिए हुए है। प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित इस मन्दिर का निर्माण महाराणा कुंभा के शासनकाल (1433-1468) में धरणशाह नामक एक जैन व्यापारी ने, प्रसिद्ध शिल्प विशेषज्ञ देपाक के निर्देशन में करवाया था। यह मन्दिर 1444 खंभों पर टिका हुआ है। इसलिए इसे ‘खंभों का अजायबघर’ कहा जाता है। मूल गर्भगृह में आदिनाथ की चार मुख वाली मूर्ति लगी हुई है। इसलिए यह मन्दिर ‘चौमुखा मन्दिर’ भी कहलाता है। यह मन्दिर अपनी शिल्पकला के साथ ही अध्यात्म एवं शांति का केन्द्र है।
पाली जिले में स्थित रणकपुर का जैन मन्दिर, अपनी अद्भुत शिल्पकला एवं भव्यता के साथ आध्यात्मिकता लिए हुए है। प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित इस मन्दिर का निर्माण महाराणा कुंभा के शासनकाल (1433-1468) में धरणशाह नामक एक जैन व्यापारी ने, प्रसिद्ध शिल्प विशेषज्ञ देपाक के निर्देशन में करवाया था। यह मन्दिर 1444 खंभों पर टिका हुआ है। इसलिए इसे ‘खंभों का अजायबघर’ कहा जाता है। मूल गर्भगृह में आदिनाथ की चार मुख वाली मूर्ति लगी हुई है। इसलिए यह मन्दिर ‘चौमुखा मन्दिर’ भी कहलाता है। यह मन्दिर अपनी शिल्पकला के साथ ही अध्यात्म एवं शांति का केन्द्र है।
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