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जालौर का किलासोनगिरि पहाड़ी पर स्थित यह किला सूकड़ी नदी के किनारे बना हुआ है। शिलालेखों में जालौर का नाम जाबालिपुर और किले का नाम सुवर्णगिरि मिलता है। इस किले का निर्माण प्रतिहारों द्वारा आठवीं
सदी में करवाया गया था। इस किले पर परमार, चौहान, सोलंकियों, तुर्कों और राठौड़ो का समय-समय पर आधिपत्य रहा। किले के भीतर बनी तोपखाना मस्जिद, जो पूर्व में परमार शासक भोज द्वारा निर्मित संस्कृत पाठशाला थी, बहुत आकर्षक है। यहाँ का प्रसिद्ध शासक कान्हड़दे चौहान (1305-1311) था, जो अलाउद्दीन खिलजी से लड़ता हुआ वीर गति को प्राप्त हुआ।
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